मानव निर्मित नहीं है पेरू का स्टोन फॉरेस्ट - “चोक्कोलाका”

Jitendra Kumar Sinha
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पेरू के अरेक्विपा क्षेत्र के कैइलोमा प्रांत में बसा “चोक्कोलाका” दुनिया के उन दुर्लभ प्राकृतिक चमत्कारों में शामिल है, जो यह बताता है कि प्रकृति से बड़ा कलाकार कोई नहीं है। दूर-दूर तक फैला यह क्षेत्र विशाल चट्टानों से बना है, जिसके आकार इतने अनोखे और जीवंत हैं कि पहली नजर में यकीन ही नहीं होता है कि यह किसी मूर्तिकार की कारीगरी नहीं बल्कि प्रकृति की अद्भुत रचना हैं। इसी कारण इसे लोग प्यार से स्टोन फॉरेस्ट यानी पत्थरों का जंगल भी कहते हैं।

“चोक्कोलाका” में मौजूद चट्टानों की आकृतियों को देखकर लगता है मानो किसी ने उन्हें बड़े ध्यान से तराशा हो। कुछ चट्टानें इंसानों की आकृति जैसी दिखती हैं, तो कुछ दूर से देखने पर किसी जानवर की तरह लगती हैं। कई रूप ऐसी प्राचीन किलों की छवि प्रस्तुत करता है, मानो किसी भूले-बिसरे साम्राज्य के अवशेष हों। लेकिन सबसे आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि इसमें से किसी भी आकृति को मानव ने नहीं गढ़ा। यह सब हवा, बारिश और समय की संयुक्त ताकत से लाखों वर्षों में अपने-आप बना है।

पेरू के इस इलाके की चट्टानें मुलायम ज्वालामुखीय चट्टानों से बनी हैं। समय के साथ निरंतर चलने वाली तेज हवाएँ, भारी वर्षा और तापमान में उतार-चढ़ाव ने इन पत्थरों को धीरे-धीरे काटा, घिसा और तराशा। यही प्राकृतिक क्षरण (erosion) इन चट्टानों को ऐसे आकार देता गया कि मानो वे जीवित मूर्तियाँ हों। किसी जगह पत्थर इंसान के चेहरे जैसा दिखने लगता है। कहीं कोई चट्टान ऊँट, पक्षी या किसी अन्य जानवर जैसा प्रतीत होता है और कहीं पूरा क्षेत्र किसी प्राचीन नगर जैसा नजर आता है। यह सब बिना किसी मानव हस्तक्षेप के, केवल प्रकृति के धीमे लेकिन शक्तिशाली स्पर्श से संभव हुआ है।

“चोक्कोलाका” आज पेरू के प्रमुख पर्यटक स्थलों में शामिल हो चुका है। यहाँ आने वाला हर यात्री पत्थरों के इस अद्भुत संसार को देखकर दंग रह जाता है। प्रकृति प्रेमी यहाँ की अनोखी संरचनाओं को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाता है। फोटोग्राफरों के लिए यह जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं है, क्योंकि हर कोण से एक नई कला उभरती दिखाई देती है। भूविज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए यह स्थान प्राकृतिक क्षरण की सबसे बेहतरीन पाठशाला बन जाता है।

“चोक्कोलाका” का स्टोन फॉरेस्ट सिर्फ सुंदर नहीं है, बल्कि रहस्यों से भरा है। स्थानीय लोग इसे एक पौराणिक नगर का प्रतीक मानते हैं जो पत्थर में बदल गया। वैज्ञानिक इसे पृथ्वी की प्राकृतिक शक्तियों का अनूठा प्रयोगशाला कहते हैं। जो भी हो, इतना निश्चित है कि यह स्थान प्रकृति की रचनात्मक शक्ति का एक जीवंत प्रमाण है।

पेरू का चोक्कोलाका स्टोन फॉरेस्ट यह संदेश देता है कि प्रकृति यदि चाहे तो साधारण पत्थरों को भी कला की शानदार कृतियों में बदल सकती है। हवा, पानी और समय की यह कला देखने वालों को अचंभित करती है और याद दिलाती है कि दुनिया में अभी भी कितने रहस्य छिपे हैं।




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